शिलाजीत के फायदे और नुकसान (Shilajit Benefits And Side Effects in Hindi)
शिलाजीत के फायदे और नुकसान (Shilajit Benefits And Side Effects in Hindi)
आयुर्वेद में शिलाजीत के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। शिलाजीत के फायदे(Benefits of Shilajit), शिलाजीत की मात्रा (Dose of Shilajit ), शिलाजीत लेने का तरीका (How To Take Shilajit ) शिलाजीत का प्रयोग यौन शक्ति(sexual weakness ) बढ़ाने के अलाबा वात रोगो, मूत्र सम्बन्धी रोगो में भी होता है। स्त्रियों (Shilajit for women)में भी दौर्बल्यता और वात विकारो में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।शिलाजीत(What is Shilajit in Hindi) क्या है?
आयुर्वेद के ग्रंथों में शिलाजीत चट्टानों की तलहटी में पाया जाने वाला खनिज है जो प्राकृतिक रूप से अपने आप बनता है। यानि की ये पत्थर सूर्य की तेज किरणों की वजह से चट्टानों के पिघलने की वजह से बनता है। इसीलिए इसे शिलाजीत बोला गया है। जहां तक इसके रंग की बात करें तो यह हल्के भूरे या काले रंग का दिखाई देता है। इसका रंग बहुत काला होता है।शिलाजतु के प्रकार (Type of Shilajit in Hindi)
१. गोमूत्रगन्धि शिलाजतु(Black Bitumen)
२. कर्पूरगन्धि शिलाजतु (Potassium Nitrate)
अतः यह निर्विवाद सत्य है कि शिलाजतु संहिता काल से आज तक रसायन, वाजीकरणार्थ एवं प्रमेह, शोथ, पाण्ड, कामला आदि भयानक रोगों में चिकित्सार्थ प्रयोग होता आ रहा है। शिलाजतु का भेद संहिताओं में कई प्रकार से दिया गया है। चरक संहिता में शिलाजतु का चार भेद तथा सुश्रुत संहिता में छ: प्रकार तथा रस ग्रन्थों में दो प्रकार के भेद दिये गये हैं।
शिलाजीत कहाँ मिलता हैं ( Where Natural Shilajit is Found)
शिलाजतु प्रकृति में पहाड़ों के स्राव रूप में मिलता है। इस खनिज में ५०% तक शुद्ध शिलाजतु रहता है। शेषभाग मिट्टी आदि अपद्रव्य के होते हैं। कहीं-कहीं पर पर्वत स्राव जन्य शुद्ध (Pure) भी प्राप्त होता है। एक दो स्थानों में ऐसा मिलता है। |खनिज प्रकार- इन दिनों बाजार में शिलाजतु के खनिज नाम से "शिलाजतु पत्थर' आता है जो पत्थर न होकर मिट्टी आदि घुलनशील द्रव्य मात्र है। इसमें गोमूत्र की गन्ध वर्तमान है। इसकी कोई अपनी आकृति नहीं होती है और न कोई रंग ही। कभी-कभी ताजा खनिज गीला एवं काला होता है जो सूखने पर भूरा हो जाता है। सभी जगह पर इसके खनिज एक ही जैसे मिलते हैं।
खनिज प्राप्ति स्थान- भारत में शिलाजतु उत्तर प्रदेश वर्तमान में उत्तराञ्चल के कुमाँयू जिले में सरयू और रामगंगा के बीच वाले पर्वत में, चूने के पत्थरों से स्ववित होता है। गढ़वाल, गंगोत्तरी एवं यमुनोत्तरी में भी शिलाजतु प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त नेपाल एवं भूटान में भी शिलाजतु प्रचुर मात्रा में मिलता है।
शुद्ध शिलाजतु के गुण(Property of Shilajit in Hindi)
महर्षि अग्निवेश कहते हैं कि पृथ्वी पर कोई ऐसा साध्य रोग नहीं है जिसे विधिवत् प्रयोग-अनुपान-मात्रा-पथ्य आदि के द्वारा शुद्ध शिलाजतु नष्ट नहीं कर दें। साथ ही यदि स्वस्थ व्यक्ति शुद्ध शिलाजतु का प्रयोग करे तो उसे अत्यन्त ओजस्वी और शक्तिशाली बना देता है।महर्षि सुश्रुत भी प्रायः ऐसा ही कहते हैं। रसग्रन्थकार आचार्य वाग्भट कहते हैं कि रसवर्ग, उपरसवर्ग, पारद, रत्नवर्ग और लोहवर्ग में जितने भी गुण हैं वे सब गुण शुद्ध शिलाजतु में रहते हैं। साथ ही जरा- मृत्यु को भी नष्ट करता है। मेध्य, रसायन, बृष्य, बल्य, देहदार्यकृत्, वाजीकरण, योगवाहि और स्मृतिप्रद है। शुद्ध शिलाजतु के रोगनाशक गुण- सभी तरह के प्रमेह, ज्वर, पाण्डु, मन्दाग्नि, शूल, मेदोरोग, गुल्म, प्लीहा, उदररोग, हृच्छूल और त्वक रोग एवं कुष्ठ l
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शिलाजीत के फायदे (Benefits of Shilajit In Hindi)
आयुर्वेद के अनेक महत्वपूर्ण योगों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह बलपुष्टिकारक,ओजवर्धक,दौर्बल्यता नाशक ,धातुपौष्टिक होने के साथ साथ कई प्रकार के जीर्ण रोगों को दूर करने वाले द्रव्य हैlशिलाजीत की सबसे बड़ी विशेषता ये है की ये सिर्फ रोगग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है यानि स्वस्थ व्यक्ति (स्त्री या पुरुष ) भी अपने स्वास्थ की रक्षा करने और शारीरिक पुष्टि को बनाये रखने के लिए इसका सेवन कर सकता है आइये शिलाजीत ले कुछ महत्वपूर्ण फायदे जानते है :
शरीर की कमज़ोरी में कारगर
शरीर की कमज़ोरी में शिलाजीत एक अच्छा उपाय है l शिलाजीत न केवल यौन शक्ति को बढ़ाता है बल्कि यह शारीरिक कमज़ोरी को दूर करते हुए शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है।
स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक
शिलाजीत मेध्य का गुण है जो कि दिमाग की थकन तनाव मिटता है और नर्वस सिस्टम को मजबूती देता है जिससे यादाश्त शक्ति बढाती है।
रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है
शिलाजीत का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैl शिलाजीत के नियमित सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है जिससे आप छोटी छोटी मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, जुकाम आदि से बचे रहते हैं।यौन शक्ति को बनाये रखने का साधन
नियमित शिलाजीत सेवन से यौन शक्ति बगाती है अपने वैवाहिक जीवन को ख़ुशहाल बनाने और यौन शक्ति बढ़ाने के लिए शिलाजीत का सेवन करें क्योंकि यह पुरुष प्रजनन प्रणाली और कामेच्छा को बढ़ाती है।
बढती उम्र के लक्षण रोकने में सहायक
शिलाजीत आयुर्वेद के अनुसार रसायन है यानि ये शरीर की धातुओ को पोषण देकर बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकने में सहायक में होता है। आधुनिक मतानुसार शिलाजीत में फुल्विक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लैमेटरी गुण पाए जाते हैं जो फ्री रेडिकल्स से हमारी रक्षा करते हैं और कोशिकाओं को टूटने से बचाते हैं इसलिए शिलाजीत के नियमित सेवन से बढती उम्र को रोका जा सकता है।
शिलाजीत के नुकसान
शिलाजीत का सेवन शास्त्रों में बताये गए मत के अनुसार लेने से कोई नुकसान नहीं होता है फिर भी कुछ बातों का शिलाजीत सेवन के समय ध्यान रखना चाहिए जैसे
पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को चिकित्सक से परामर्श के बाद ही शिलाजीत लेना चाहिए।
शिलाजीत सेवन के समय विदाही और गुरु भोजन सेवन करने से बचाना चाहिए
गोदुग्ध, तक्र, मांसरस, मुद्यूष, जल, गोमूत्र और अनेक प्रकार के फलों एवं द्रव्यों के स्वरस या क्वाथ के साथ शुद्ध शिलाजतु का प्रयोग करना चाहिए।
शुद्ध शिलाजतुजन्य विकार शान्त्युपाय- शुद्ध शिलाजतु सेवानोपरान्त यदि किसी व्यक्ति में विकार उत्पन्न हो जाय तो सात दिनों तक मरिच चूर्ण-घृत के साथ सेवन करने से विकार नष्ट हो जाते है
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